Homeअज्ञात कविसपने सपने शिवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव अज्ञात कवि, शिवेंद्र कुमार श्रीवास्तव 11/04/2014 No Comments ये तारे जमीन पे चम्कते रहेन्गे आखो मे सपने सजते रअहेन्गे मौसम बहारो के खिलते रहेन्गे निगाहो मे हसरते पलते रहेन्गे पाना है सबको ये सपने सुनहरे सितारे बन के चमकते रहेन्गे. Tweet Pin It Related Posts हाय तेरी आँखे मैने तय किया है नेता भारत के : Indian Leader About The Author shivendra Kumar Srivastava शिवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव रायबरेली Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.