Homeरिंकी राउतभाषा ख़ामोशी की भाषा ख़ामोशी की Rinki Raut रिंकी राउत 08/04/2014 2 Comments शब्द तूफान न ला दे शायद इसी डर से हर इंसान अपनी ज़िन्दगी में खमोशी ओढे खड़ा है ख़ामोशी है या गहरे मन के कोने में दबा कोई दर्द छिपा है जो चुप-चाप रह कर छुपने की कोशिश कर रहा है शब्द शून्य बन गए तो क्या मेरे भीतर अभी भी भावनाओ का लावा सा बहा रहा है Tweet Pin It Related Posts रावण मरता क्यों नहीं? मेरे शब्द रूठे है प्यार के देहलीज पर About The Author Rinki Raut लिखना मेरे लिए साधना जैसा है एक गहराई जिसमे डूब जाने के बाद मान से थकान,घुटन,सुख और दुःख जैसे विचार का कोई मतलब नहीं रह जाता लिखते समय मैं अपने शब्दों के साथ बिना बंधन,शौर और अपने -आप में खोई दुनिया से अलग संसार में जीने लगती हूँ 2 Comments jagdish bhagwani 26/04/2014 bas aap isi tarah likhti rahe Reply Rinki Raut 27/04/2014 Thanks you very much dear Reply Leave a Reply to jagdish bhagwani Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.
bas aap isi tarah likhti rahe
Thanks you very much dear