क्या तुमने देखा है,
वह फाफामऊ का गंगा तट;
सूरज सतरन्गी किरन विखेरता,
मन्द पवन अठ्खेली करता;
केवट जहा पर नाव खेवता,
बसते जहा पर सहस्त्र देवता;
हो जाये जहा पर जीव निश्कपट,
क्या तुमने देखा है फाफामऊ का गन्गा तट;
माता की वह गोद निराली,
चुनरी बन फैली हरियाली;
पुश्पाहार बेचते माली,
उन्मुक्त जहा गन्गा मतवाली;
मिलने को यमुना से सरपट.
क्या तुमने देखा है,
वह फाफामऊ का गन्गातट.
मिलती जहा दूध कि धारा,
सभी जीव पाते है चारा;
कहे शिवेन्द्र गन्गा है सबकी जीवनधारा,
राम-नाम जहा सत्य सहारा;
मिट जाते जगत के कष्ट,
क्या तुमने देखा है वह फाफामऊ का गन्गातट.