Homeआनंद नारायण मुल्लासफ़-ए-अव्वाल से फ़क्त एक ही मयक्वार उठा सफ़-ए-अव्वाल से फ़क्त एक ही मयक्वार उठा साक्षी प्रजापति आनंद नारायण मुल्ला 18/02/2012 No Comments सफ़-ए-अव्वाल से फ़क्त एक ही मयक्वार उठा । कितनी सुनासान है तेरी महफ़िल साकी ।। ख़त्म हो जाए न कहीं ख़ुशबू भी फूलों के साथ, यही खुशबू तो है इस बज़्म का हासिल साखी । Tweet Pin It Related Posts लहू का टीका निगाहों दिल का अफसाना About The Author साक्षी प्रजापति Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.