काधा राधा नगरी में ललकारे के होई ?
अपनी ही धरती से पुकारे के होई ॥
लरिकन के लड़ाई से निकारे के होई।
मनवालो को सेना ने उतारे के होई ॥
आजाद भगत कामिल पुकारे के होई । अब्दुल हमीद वीरता संवारे के होई ॥
जी पटेल को फिर से निहारे के होई ।
राजा कंश को रण में ललकारे के होई ॥
धन्यवाद ! हिंदी साहित्य काव्य संकलन