- पते पर जो नहीं पहुँची
- उस चिट्ठी जैसा मन है
- रिक्त अंजली सा मन है
आहत सब परिभाषाएँ
मुझमें सारी पीड़ाएँ
मौन को विवश वाणी सी
बुझी अनगिनत प्रतिभाएँ
- आस का गगन निहारती
- खो गई सदी सा मन है
मीरा में भजन सा बहा
राधा में गगन सा दहा
बाती तो नित बाली पर
मंत्र मौन अनकहा रहा
- दिवस दोपहर बुझा-बुझा
- शाम बाबरी-सा मन है
मीठी यादों से छन-छन
उभरे ज़ख़्मों के रुदन
दमन कालजयी हो गए
नीलामी पर चढ़े नमन
- अधरों पर जो सजी नहीं
- उसी बाँसुरी-सा मन है