आहत है स्वप्न का गगन
चेहरा है बिखरा काजल
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- हृदय नेह का सागर है
- दृष्टि मेघमय गागर है
- जब से चैतन्य मन हुआ
- पल-पल जैसे चाकर है
- चित्र में प्रविष्ट हो गया
- बिन बरसे काला बादल
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- युग हुए न लौटे घर हम
- हो गए छलावे मौसम
- नून छिड़कती जख़्मों पर
- सावनी सुरीली सरगम
- सोच हो गई मधुशाला
- चाहना रही गंगाजल