रोती हंसती सबकुछ करती,
दुःख कभी ना अपना बतलाती वो।
रात रात जगती खुद,
हमें सिरहाने सुलाती वो ।१।
खुद पी पी कर पानी,
निवाला हमें खिलाती वो,
गिले पे सोई रहती खुद,
सूखे पे हमें सुलाती वो ।२।
लाख गलतियाँ करते हम,
पर कभी खफा न होती वो,
हमारी एक किल्कारी पे,
दौड़ी दौड़ी आ जाती वो ।३।
माँ का प्यार ही,
मातृभूमि का एहसास है,
जो संतान भूल जाता है,
वो संतान नहीं, शैतान या है हैवान।४।