Homeराधाकृष्ण पन्तमन की बात मन की बात rk pant राधाकृष्ण पन्त 21/03/2014 No Comments अब किस्से वो पुराने हो गये दूध के प्याले थे पैमाने हो गये आवाद बस्ति के वे घर सभी एक एक कर के मयखाने हो गये कैसे कहु के आवारगी में हम भी तेरे दिवाने हो गये इस कारवां के कुछ अपने पास रहते बेगाने हो गये Tweet Pin It Related Posts कुछ शेर मन की बात भक्ति कविता About The Author kishna Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.