जो अंधेरों से उठे तो फिर उजाला बन गये
क्या हुआ ‘गर जुगनु थे कल, अब सितारा बन गये
जब उठा तूफ़ां तो हम सैलाब से बहने लगे
डूबना था हम को देखो पर किनारा बन गये
सोचते थे इस जहां में हम सभी से हैं जुदा
राह चल के दूसरों की हम ज़माना बन गये
इस ज़मीं पर गिर के देखा, स्याह रातें काट ली उठ गये
फिर आस्मां में और हाला बन गये