राहो की पगडंडियों पे थक गए हम चलते हुए,
तू थाम ले दामन सरे राह तो कोई बात हो ।।
सूरज तो रोज़ ही निकलता है दुनिया के लिए,
तू एक रोज़ जो मेरे लिए सूरज बने तो कोई बात हो।।
वक़्त की बेकसी ने मुझे मजबूर किया है,
एक रोज़ वो वक़्त भी मजबूर हो तो कोई बात हो।।
मेरे ख्वाबो में तेरा अक्स तो रोज़ होता है
तू मेरे तसव्वुर में उम्र गुज़ार दे तो कोई बात हो ।।
12 March 2014