हास्य कवि सम्मलेन में
हँसी का तड़का
जाने कहाँ
गुम हो गया ?
हर चेहरे पर उदासी मँडराने लगी
बादल बनकर डराने लगी
रूप बदलकर !
तभी भीड़ में
एक कवि को जोश आया
मानो होश आया
लिटाकर गधे को
गद्दे पर
माला पहनाकर फूलों की
पाँव स्पर्श कर
लड्डू खिलाया
टीका लगाकर ,
बजाकर हारमोनियम
ठुमका लगाया !
bahut achhi kavita hai
सर्जनशीलता अति उत्तम एव सराहनीय है !!