हम हिन्दोस्तानी बड़े भावुक होते हैं जी ! ,
हमारे भी सीने में है एक धड़कता हुआ दिल।
सुबह अखबार में जब मिलती है कोई हादसे कि खबर ,
तो एक ” आह ” से भर जाता है यह दिल।
सड़क पर पड़े घायल इंसा को कर देंगे नज़र-अंदाज़,
तो क्या हुआ ! ”बेचारा ” उसे कह तो देता है दिल।
किसी लड़की को कोई छेड़े तो कन्नी काट लेते हैं ,
मगर बलात्कार की वारदात से काँप जायेगा दिल।
क्रिकेट में जीत कर आयें खिलाड़ी तो सर आँखों पर ,
हार जाएँ तो उन्हें कोसने से बाज़ नहींआएगा यह दिल।
हम थोड़े मासूम भी है तभी तो बहक जाते ”उनके” वायदों से ,
मगर जब खुलती है हमारी आँखें ,तो डर जाता है ”उनका दिल”।
हंगामें करना , पुतले फूंकना , धरने देना और आगजनी ,
कुछ तो करना है ना ! तो गरमा-गरम मुद्दे ढूढता है यह दिल।
हम इन्केलाब लाना तो चाहते है मगर क्या” इस तरह”?
हम हिन्दोस्तानी बनते हैं बड़े दिलवाले , क्या है हमारे पास दिल ?
bahut achchhe anu ji.