उनसे होगी फिर मुलाक़ात सोंचा न था
आँखों से होगी फिर बर्षात सोंचा न था
वैसे उन्हें हमने न भुलाया था कभी
खुद आएंगी फिर दिलाने याद सोंचा न था
अतीत बनके वो पड़ी थी किश्मत में मेरी
लौटकर आएगी फिर जजबात सोंचा न था
अँधेरे में जीने कि हमें हो गयी थी आदत
निकल आएगी पूनम कि रात सोंचा न था
रेगिस्तान बन गयी थी ये सुखी जिंदगी
गुलिस्तां बनके होगी आवाद सोंचा न था
हरि पौडेल
नेदरल्याण्ड
बहुत बढ़िया आदरणीय
dhanyawaad
निहारो मत चाँद को
निहारो मत चाँद को
वो शर्मा जाएगा
तारों ने घेर रखा है उसे
गुस्सा आ जाएगा
तपिस बहुत है तुममें तारों
कोई जल जाएगा
बादलों ने घेर रखा है तुम्हें
तू कुछ न कर पायेगा
चंदा की चांदनी उसके साथ हो
तो तेरा क्या रौब चल पायेगा
हवाओं ने रोका है तुम्हें
एक कदम भी न हिल पायेगा
पतझड़ का मौसम हो
और तू टिक पायेगा
न इतना अहम करो
आकाश से झड जाएगा
उधार की रौशनी का साथ हो
तेवर फिर भी दिखाएगा
जाओ चाँद से सीख कर आओ
वो तुम्हें सिखाएगा
उधार की रौशनी को
कैसे रखा जाएगा
शालीनता कैसे हो
इसका ज्ञान कराएगा
न चाँद से इर्षा करो
वो गले से तुम्हें लगाएगा
बस तपिस तुम कम करो
फिर न कोई जल पाएगा
निहार लो अब चाँद को
कोई कुछ न कह पाएगा
तारे भी अब शांत हैं
उनको न गुस्सा आएगा
देवेश दीक्षित
9582932268