Homeआग्नेयप्रतिध्वनि प्रतिध्वनि साक्षी प्रजापति आग्नेय 18/02/2012 No Comments देखना एक दिन इस तरह चला जाऊंगा ढूंढोगी तो दिखूंगा नहीं लौटता रहा हूँ बार-बार प्रतिध्वनि बनकर तुम्हारे जीवन में देखना एक दिन इस तरह चला जाऊंगा लौट नहीं पाऊंगा प्रतिध्वनि बनकर तुम्हारे जीवन में। Tweet Pin It Related Posts सम्पूर्णता कल वे अब भी हँस रहे हैं About The Author साक्षी प्रजापति Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.