ग़ज़ल
कौन सी दौलत पे तू रहता बड़ा मगरूर है
बस वही होगा ऐ बन्दे रब को जो मंज़ूर है
हौसला हिम्मत अमल करना जरूरी है मगर
याद रखना आदमी तक़दीर से मजबूर है
है मुबारक बाद उन मां बाप को ऐ दोस्तों
बेटियां के जिनके माथे पे सज़ा सिन्दूर है
कोशिशे पैहम से इकदिन पा ही लेता है ज़रूर
कौन कहता है कि मंजिल आदमी से दूर है
आज भी गुमनामियों में जी रहे लाखों यहाँ
शुक्र है तू चंद दिन में ही”रज़ा” मशहूर है
9981728122
भाई सालिम रजा जी बहुत ही लाजवाब गजलें लिखते हो दिली दाद …आज मैंने आपकी बहुत सी गजलें पढी सभी एक से बढकर एक हैं ..सभी शिल्प और बहर कसी मजिं और सधी हुई है ….कुछ थोड़ा बहुत मैं भी गीत गजल छंद आदि लिख लेता हूँ ,,मैंने आपको फोन भी लगाया था किन्तु आप ने रिसीव नहीं किया …कभी फुर्सत में होना तो इस 9412224548 इस नंबर पर बात कर लेना ….मुझे भी अच्छा लगेगा …..और कभी मेरी रचनाओं को भी देखिये ..
आचार्य शिवप्रकाश अवस्थी JI AAP KI MUHABBAT BANI RAHE
MAINE AAP KO CALL KIYA THA SHAYAD AAP BUSSY THE
MAIN AAP SE BAT KARTA RAHA HUNGA