सर बहूत भारी सा लगता है।
माँ भी नही है पास
के जाके थोड़ी देर लेट जायूं
उनकी गोद में।
सफ़र के दिन सुबह
माँ की गोद में
सर रखके सोया था कुछ देर।
मेरे बालों को सहला रही थी।
कभी माथे पर कभी छाती पर
आपना हाथ फेर रही थी।
अचानक आँख खुल गयी।
मेरे माथे पर एक गरम अहसास,
एक बूँद आंसूं की
मेरी माँ की आँख से टपकी थी।
उस एक बूँद को
सर पे लिए
घर छोड़ के निकला था मैं।
और तबसे………
सर बहूत भारी सा लगता है।
सर बहूत भारी सा लगता है।