‘ खिलती कलियाँ ‘
रंग –बिरंगी खिलती कलियाँ,
गूंजे भँवरे उड़ती तितलियाँ ,
सूर्य –किरणे अब फैल गईं ,
कलियों का घूंघट खोल गईं
कली –कली को देख रही ,
देख –देख कर हंस रही,
मस्त पवन का झोंका आया ,
मीठे सुर में गीत सुनाया,
डाली –डाली लगी लहराने,
क्या मस्ती भी लगी छाने ,
देख–देख मन लुभाया ,
कली –कली का मन इतराया,
कितनी कलियाँ एक बगीचा ,
माली ने सब को है सींचा,
सींच–सींच कर बड़ा किया ,
कलियों ने मन हर लिया ,
ए माली मत हाथ लगाना,
कुम्हला न जाएँ इन्हें बचाना,
कली को फूल बदलते देखो ,
महकते फूलों की फुलवारी देखो |
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