अनकही बातें
ये उलझी हुई तस्वीर है, सुलझाई ना जा सकेगी अब,
ये बिगड़ी हुई तकदीर है, बनाई ना जा सकेगी अब।
ये किसी की मर्म वेदना है, खुशी खोने का राज है,
ये करूणामयी कहानी है, बताई ना जा सकेगी अब।।
ये बिगड़ी हुई तकदीर है, बनाई ना जा सकेगी अब।
ये मेरे प्यार की दास्तां है, सुनाई ना सकेगी अब।।
खोया ही है सब कुछ हमने, पाना किस्मत में न था,
ख्वाबों में तो वो मेरा था, न था तो हकिकत में न था।
गमों से ही होता रहा सामना, हंसना तकदीर में न था,
टूट गया वो बन्धन, दम रिश्तों की जंजीर में न था।।
नयन बरसने लगे हैं, हंसी चेहरे पे ना आ सकेगी अब।
ये मेरे प्यार की दास्तां है, सुनाई ना सकेगी अब।।
उजाला कहीं दूर कैद है, उसे आजाद कैसे कर दूं?
उससे मुहोब्बत आज भी है, उसे बर्बाद कैसे कर दूं?
सिर्फ ख्यालों में नहीं है, मेरे हर ख्याल में वो है,
भूलाई नहीं जाती वो, उसे ख्यालों से जुदा कैसे कर दूं?
उसकी याद दिल में है, मिटाई ना जा सकेगी अब।
ये मेरे प्यार की दास्तां है, सुनाई ना सकेगी अब।।
ये किसी की मर्म वेदना है, खुशी को खोने का राज है,
ये करूणामयी कहानी है, बताई ना जा सकेगी अब।
ये बिगड़ी हुई तकदीर है, बनाई ना जा सकेगी अब,
ये मेरे प्यार की दास्तां है, सुनाई ना सकेगी अब।।
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सुनील कुमार लोहमरोड़
वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह भाई सुनील जी वाह , बहुत ही उम्दा रचना के लिए लिए आप सबसे पहले तो बधाई स्वीकार करें , उसके बाद आते है आपकी रचना पर I
सोच थोड़ी सी नकारात्मक है पर रचना शानदार है , अगर इसमें कुछ भाव सकारात्मकता
के भी आ जाते तो मजा आ जाता , कृपया अन्यथा न लें यह बस मेरे निजी विचार है मैं गलत भी हो सकता हूँ , कहीं कहीं टंकण त्रुटि भी है (टाइपिंग मिस्टेक) .
बाकी आपकी भावभिव्यक्ति का कोई जवाब नहीं, बहुत ही सुन्दर भाव प्रस्तुत किये है आपने , बहुत बहुत शुभकामनाएं
गुरुचरण जी
सादर नमन,
बहुत बहुत आभार आपका…
मुझे ख़ुशी है के आपको मेरी रचना पसंद आई.
आपका मार्गदर्शन मेरे बहुत काम में आएगा.
आगे से मैं ध्यान रखूँगा…
धन्यवाद
उजाला कहीं दूर कैद है, उसे आजाद कैसे कर दूं?
उससे मुहोब्बत आज भी है, उसे बर्बाद कैसे कर दूं?
बहुत सुन्दर आनंद आ गया
बहुत बहुत आभार आपका
बहुत अच्छा लिखा है……….
मुझे ख़ुशी है आपको मेरी रचना पसंद आई.