___________________(१)__________________
उसकी बातों में छल, सीरत में फरेब आ गया है अब,
बहुत बुरा देखा था अंजाम, वो करीब आ गया है अब।
बर्बाद हैं हम, हमें बर्बादी का मंजर क्या बर्बाद करेगा,
लेकिन घोर गर्दिश में मेरा, बिगड़ा नसीब आ गया है अब।।
___________________(२)__________________
वो वफ़ा को तरस रहे हैं, हम अपनी हालत पे तरस रहे हैं,
वो हया से सिमट रहे हैं, हम टूटकर बिखर रहे हैं ।
एक दुसरे से बिछड़ के हम, जिंदा है कुछ इस कद्र के,
वो मर मर के जी रहे हैं, हम जीते जी मर रहे हैं ।।
___________________(३)__________________
अधुरा सा है ये एक ख्वाब, इस ख्वाब को बदलना है,
खुद की खातिर मुझे खुद को, खुद से सम्भालना है।
एक दुसरे की रूह में रहकर, कब तक जिंदा रहे हम,
उसे मुझसे निकलना है, मुझे उस से निकलना है।।
aapne yaha b likhna shuru kar diya sir. Jankar bahut khushi hui. Bahut achchi rachna h. Likhna jari rakhen. Jai hind sir.
thanks