दुश्मन भी पेश आए हैं दिलदार की तरह;
नफरत मिली है उनसे मुझे प्यार की तरह;
कैसे मिलेंगे चाहने वाले बताईये;
दुनिया खड़ी है राह में दीवार की तरह;
वो बेवफ़ाई करके भी शर्मिंदा ना हुए;
सूली पे हम चढ़े हैं गुनहगार की तरह;
तूफ़ान में मुझ को छोड़ कर वो लोग चल दिए;
साहिल पर थे जो साथ में पतवार की तरह;
चेहरे पर हादसों ने लिखीं वो इबारतें;
पढ़ने लगा हर कोई मुझे अख़बार की तरह;
दुश्मन भी हो गए हैं मसीहा इस जहाँ में;
मिलते हैं टूट कर वो गले यार की तरह।