सवाल तुम हो , जवाब तुम हो
ज़िंदगी का अनसुलझा ख़्वाब तुम हो ,
तुम ही तुम विचार में
चार पल की ज़िंदगी
ना आर हूँ ना पार हूँ |
नज़र से नज़र मिली ना थी
थमी थमी सी थी ज़िंदगी ,
तूफ़ानी लहरों में डगमगाती
बिन पतवार की नाव हूँ |
सवाल तुम , जवाब तुम
जिंदगी का अनसुलझा ख़्वाब तुम ,
ना आर है ना पार है
मैं कलम की नोक हूँ
तू रंग – विचार है |