इश्क के जलजले का कहर देख लो |
ढह गया मेरे’ सपनों का’ घर देख लो ||
दिलरुबा चाँद बनकर बनी सित्मगर |
चाँदनी से जला है जिगर देख लो ||
आँख में झाँकने का जो रखते हुनर |
रात को जागने को असर देख लो ||
किस कदर मेरे दिल पर ढहाया कहर ?
क्यूँ नजर मार दी वो’ नजर देख लो ?
चाह तेरी फली दे रहा हूँ खबर |
हाय बदतर हुआ इक नजर देख लो ||
नाम तेरा यहाँ जुर्म का हमसफ़र |
काम के वास्ते इक शहर देख लो ||
मैं सदा दूर था शायरी से मगर ?
आज शायर बना हूँ हुनर देख लो ||
लुट गयी हर ख़ुशी शिव की है इस कदर |
बन चुका पीर का हूँ जहर देख लो ||
आचार्य शिवप्रकाश अवस्थी
नोंएडा -०९५८२५१००२९