Homeअयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’निर्मम संसार निर्मम संसार साक्षी प्रजापति अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ 18/02/2012 No Comments वायु के मिस भर भरकर आह । ओस मिस बहा नयन जलधार । इधर रोती रहती है रात । छिन गये मणि मुक्ता का हार ।।१।। उधर रवि आ पसार कर कांत । उषा का करता है शृंगार । प्रकृति है कितनी करुणा मूर्ति । देख लो कैसा है संसार ।।२।। Tweet Pin It Related Posts बादल एक तिनका एक बूँद About The Author साक्षी प्रजापति Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.