रणधीर तेरी शहादत पर
निकल पडे़ आँसू आज।
ऊँचे मंडप, तोरण द्वार
तेरा जय-घोष
पर मन है व्याकुल आज।
रणधीर तेरी शहादत पर
निकल पड़े हैं आँसू आज।
तेरा शोर्य, बलिदान
बना मज़मे का बंदर
मदारी नचा इसे,
फल फूल रहा है आज।
रणधीर तेरी शहादत पर
निकल पड़े हैं आँसू आज।
तेरे सपनों के शीशे में
दरार पड़ गई है,
चेहरे का हर हिस्सा
अलग दिखता है आज।
रणधीर तेरी शहादत पर
निकल पड़े हैं आँसू आज।
लहु से सींचा था
जिस बाग को तूने,
निगल नव-पल्लवों को
वट-वृक्ष पले हैं आज।
रणधीर तेरी शहादत पर
निकल पड़े हैं आँसू आज।
तेरी शोहरत,स्वार्थ सिद्धि
हमें गुमराहट, उन्हें समृद्धि
हम भेड़ें झुण्ड का हिस्सा
जैसे थे कल, वैसे हैं आज।
रणधीर तेरी शहादत पर
निकल पड़े हैं आँसू आज।