हम पर कोई निसार हो तो सही I
मोहब्बत का इज़हार हो तो सही I
जां लुटाना चाहते हैं हम इश्क में,
मगर पहले प्यार हो तो सही I
मत भी ले लो बहुमत भी लो,
नेता इमानदार हो तो सही I
जाऊँगा हाल पड़ौसी का पूछने,
उसका भी बंटाधार हो तो सही I
सात पर्दों में कैद कर लिया,
उनका ज़रा दीदार हो तो सही I
दे, तो फिर लेकर दिखा दे,
एक बार उधार हो तो सही I
सब इमानदार हों तो बाँटू लड्डू,
मेरा सपना साकार हो तो सही I
तस्वीर बना दूँ बहते पानी में,
सामने निराकार हो तो सही I
गले लगा लूँ दुश्मन को भी
दोस्तों में शुमार हो तो सही I
खुशियाँ समेटना चाहता हूँ मैं,
गम का दरिया पार हो तो सही I
आंधियां उतावली हैं “चरन”
बागों में बहार हो तो सही I
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सर्वाधिकार सुरक्षित—-त्रुटी हेतु क्षमा प्रार्थी—-गुरचरन मेहता
gurucharan ji bahut hi sundar rachana likhi hai.lekin jo aap chahte ho vo kuch nahin hone wala.aur agar ho jaye to
kimat to hum chuka dengen aap ka koi kaam ho to sahi.
dil ki gehraai se aapka shukriya ada karta hu aacharyaa ji , dhanyavaad.