हजारों वर्ष पहले मानव भी बंदर था
इस धरती पर राज करे
न कोई सिंकदर था |
मिल जुल कर सब रहते थे
धरा की गोदी में सब जीते थे |
मालूम नहीं किसने किसको !
धरा ने खुद को सौंपा या
मानव ने शासन कब्जाया |
जीवनदायनी धरा का संचालन
इक नैतिक ज़िम्मेदारी थी
डोर अब मानव के हाथों में थी |
पिछला बीता इतिहास हो गया
इतिहास में झाँकू सब जग खुशहाली थी
आज को देखूँ तो बदहाली है |
क्या हमने पाया था
जो हमने आज बनाया है |