दुष्शासन अपने घर आँगन,बढ खीचा जब चीर |
यू॰एन॰ओ॰बहता देखा झरझर झरझर नीर ||
देखा उनकी बोली भाषा में वही कमान व तीर |
बङे-बङे दढियल मुच्छे गाते अपने-अपने गीत ||
सह सकी सिसकती हिंदी ना अपनो का दुःख का गाये |
जाति पाति जगह जगह को भाषा अपना राग सुनाये ||
मौन मीन की गाथा गाते दिखती सकल सभायें |
चिंतित चिन्त खङी बिंदी लेकर जन की अभिलाषायें ||
मगन गगन गनगना उठा सजी धजी हिंदी की छङिकायें ||
amit ji aap ne hindi durdasha ka bahut hi sahi aur satik roop prastut kiya hai.isake liye aap ko dhanyvaad likhte rhiye