हिन्दी हिन्द हिन्दुस्तान सहित विश्व गुरु कहलाती धाम।
काशी में हो रची-पची जिसको जपता सारा जहान॥
हिन्दी में रस इतना साधो सागर जाता समाय मान ।
हिन्दी हिंद विरोधी आदिल औ मुसलमान पढैं सब हिन्दी।।
सिद्दी- जिद्दी- मुगल -पुर्तगाली ,अंगरेजों की हिंदी।
अन्तस में अनहद नाद भरे नव रस वर्षा करती हिंदी॥
विरही घायल कर देती मनु ॠतु तरसा करती हिंदी।
गरिमा मय इतिहास तुम्हारा तू हिन्दी माथे की बिन्दी॥
कुटिया कोटिया लंगोटिया हिन्दी कहता कही कहानी।
मंदिर हिन्दी मस्जिद- गुरुद्वारा हिन्दी शिક્ષા स्वाभिमानी॥
आजाद भगतसिंह बिस्मिल कामिल हिन्दी के दिवानें ।
कर्म ક્ષેत्र की मर्म कहानी सूखे पत्ते कहीं था पानी॥
सदियों शोभित साहित्य सलिल हिन्दी बेहिचक जुबानी।
युगों – युगों पुरुष पुकारे हिन्दी सुर सुरीली बानी॥
व्यास महर्षि परासर मुनिहिन्दी हिन्दुस्तान समान ।
हिन्दी सोच? शंकर विद्यार्थी, था भारत संतान॥
वेद मंत्र हो या कि भागवत् गीता वा कुरान ।
भाई चारा प्रेम पयोनिधि हिन्दी की है शान ॥
हिन्दी मूलमंत्र जिह्वा की, गाते जग गुणगान ।
जो-जो जब-जब जिसने साधा, हिन्दी हुई महान॥
गाये ब्रह्मा विष्णु सिव सिय, हिन्दी सकल जहान।
सूफी मीरा सु: साधें, सुमंगल हिन्दी महान॥