यार अब तो सपने भी डराने लगे है
अब तो रोज ही रात को आने लगे है
कभी किसी खेल में जिताने लगे है
तो कभी यार मुझको हराने लगे है
कभी डरावना चेहरा सामने आता है
कभी वही चेहरे मुझे खिजाने लगे है
यार अब तो सपने भी डराने लगे है
दिन भर की थकान से मुक्ति के लिए
मस्त होकर आराम की चाह करता हूँ
लेकिन क्यों ये देखो ये डराने लगे है
महँगी है रजाई,बिस्तर भी महंगा
इसलिए अब चटाई बिछाने लगे है
अजीब सी सनसनी दिखने लगी है
यार अब तो नींद भी बिकने लगी है
हो सकता है ये कम पैसे की नींद हो
इसलिए गरीबी से मिलाने लगी है
अब तो मतदाता भी बिकने लगे है
ऐसे वेसे को ही जिताने लगे है
सपने में चुनावी नतीजे आने लगे है
यार ये सपने भी क्या बिकने लगे है
जो टिकिट की लाइन में थे ही नहीं
आज वो ही विद्यायक दिखने लगे है
क्यों ऐसे ही सपने दिखने लगे है
इतना क्यों सपने डराने लगे है
अब तो रोज ही रात को आने लगे है
………………………………गिर्राज किशोर शर्मा “गगन”
………………………………मो. 09617226588