मोहब्बतो के बगीचे मे वो अपने इश्क का फुल लगाने लगी,
मुझे वो अपनी झरोखो से देख मन्द मन्द मुस्काने लगी;
हम भी भवरो कि तरह उसके गली के चक्कर लगाने लगे,
उसके दिल के झरोखो मे अपनी प्यार के दीप जलाने लगे,
कालेज जाने के बहाने उनसे मिलने को आते थे,
उनके भाईयो का तो पता न था गली के कुत्तो से भिड जाते थे,
मोहब्बत क जुनुन इस कदर मुझ पर छाने लगा,
लोग कहने लगे कमिना रोज रोज क्यु यहा आने लगा,
एक दिन उसके गली अचानक एसा शमा छा गया,
उसे देखने एक लडका और उस गली मे आ गया,
उसका उस लडके के आंखो से आंखे चार हो गया,
मानो मुझे छोड उसे किसी और से प्यार हो गया,
ये सोच कर मेरी आंखे आंसुओ से नम हो गयी,
आंसु पोछ हि रहा था कि उस बिच उसकी शादी हो गयी,
उस दिन से वक्त के साथ हर लम्हा लडता हु,
जिन्दा हु तो क्या हु हर लम्हे मे जीता और मरता हु,
हमे क्या पता था वक्त मे एक एसा लम्हा भी आयेगा,
जब वो हमे भुल जायेगे और ये दर्द बरसो हमे तडपायेगा,