हम मरना चाहते तो है ,मगर उनकी नहीं मर्जी |
मुझे बर्बाद करनें की खुदा से लग चुकी अर्जी ||
तमन्ना है जो उनकी ये तो हम बर्बाद भी होंगें |
लुटेरे है वो खुशियों के तो खुशियों को लुटा देंगें ||
सितमगर हुस्न गर उनका सितम सारे ही झेलेंगे |
सिलेंगें हम फटे दिल को हम भी दिल के है दर्जी ||
हम मरना चाहते…………………………. लग चुकी अर्जी ||
नजर के तीर से उनके जिगर में घाव कितनें हैं |
गिने जाते सितारे क्या ? मेरे भी घाव उतने है ||
हमारी नजर में तो आज भी वो मेरे अपने हैं |
नजर मारी अगर उन ने तो उनकी है ये खुदगर्जी ||
हम मरना चाहते…………………………. लग चुकी अर्जी ||
खुदा उनको हिफाजत दे हुस्न में ऐसी बरकत दे |
सिकंदर हुस्न के वो हो ,मुझे ऐसी इबादत दे ||
वो कातिल है मेरे दिल के दिल तू उनको इज्जत दे |
प्यार तूने किया ऐ दिल प्यार तेरा नहीं फर्जी ||
हम मरना चाहते…………………………. लग चुकी अर्जी ||
bohat achhe hame apki ye kavita bohat pasnd aayi… nice one !
ajay ji kavita pasand karne ke liye dhanyvaad.
waah acharya ji waah aap to sachhe aashik nilke. bahut khoob bahut hi badiya rachna hai aapki yeh, mazaa aa gaya.
Gurcharan
रचना पसंद करने के लिए आप को बहूत बहुत धन्यवाद जब आपने सच्चे आशिक मान ही लिया है तो एक शेर भी सुन लीजिये |
हम उनके आशिक है वो पहचान नहीं पाए |
जान से जान मिली फिर भी चरन जी वो जान नहीं पाए ||