नारी तेरे कितने रूप,
कितना छाँव कहाँ तक धूप??
नारी तेरे कितने रूप|
कभी रूप माता का लेकर,
तुमने तन में प्राण दिया|
जीवन संभले, जीवन संवरे,
तुमने अमृत पान दिया|
कितने त्यागों, बलिदानों से,
पूरित है तेरा यह रूप?
नारी तेरे कितने रूप||१||
चंदा सी शीतलता तुझमे,
तू ही चंडी रूप है|
तुझमे भार्या, तुझमे पुत्री,
तुझमे मातृ स्वरुप है|
सूर्य प्रभा मण्डल सा चहुँदिशि,
जग में दमके तेरा रूप|
नारी तेरे कितने रूप||२||
— दीपक श्रीवास्तव
बहुत खूब ..पसन्द आई ।