मंद -मंद पल छंद पवन ,यु चली प्रेम रस की फुहार ,
तीखी अगन मीठी चुभन ,कर गयी ह्रदय को तार तार …
मंद मंद ……
ना बस ही चला ना बस में रहा ,ना इसने सीमाएं जानी
ना भेद कभी इसने समझा , इसने तो जिद अपनी ठानी ,
इस प्रखर प्रेम की ज्वाला में ,मन हुआ प्रेम रस सरोबार
मंद मंद ….
तुम जब जिस और जहा जाओ, जग की सारी खुशियाँ पाओ,
जब लगे ह्रदय में वेदन स्वर ,तुम मुझे कही मन में पाओ…
मेरी सदाए मुहब्ब्बत में ,में कर पाऊ तुम्हे साकार
और काश !! कभी में दे पाऊ ,तेरे सारे सपने आकार
मंद मंद …..
nice creation keep writting
Thanks a Lot for your valuable comment !!!