आज दिल को किसी की याद है आई , रौशनी जो चाँद से है शरमाई ,
उनका भी था शर्मना कुछ इस कदर , जो आज शायरी ने भी ली है अंगडाई |
महफ़िलो में चरचाए होते सुना , अर्ज होते ग़जलों को बुना ,
कुछ यु हसीं था उस चाँद का दीदार ,जो चर्चाओं में ही उनकी घजले थी समाई |
तस्वीरो में तकदीरो को कैद कर , हर वक़्त उन्हें रोते देखा,
उन गहरी नजरों में भी थी कुछ नमी ,जो आज मौसम की भी आँख है भर आई |
आसां ना था वो सफ़र अपना , जो वक़्त ने किया य़ू सितम ,
वो लम्हा ही था कुछ हसीं ,जो वक़्त ने ही उनकी याद है अचानक लायी |
nitesh singh(kumar aditya)
आप की पंक्ति तस्वीरों तक़दीर तो कैद कर ….बहुत खुबशुरत है,बस किसी की याद आ गई
shukriya rinki raut….