वो पांच हैं,
उनमें से चार,
65 वर्ष से जुआं खेल रहे हैं,
तीन पत्ती,
उनमें से एक हर बार हारता है,
उसके पास हमेशा दो तीन पांच ही आता है,
उसने उन तीनों से कहा,
ठीक से शफल करो यार,
तुम तीनों के पास हमेशा आते हैं तीन इक्के,
और मेरे पास दो तीन पांच,
मेरे बाप के पास भी ये ही आता था,
वो भी हारता था,
उसके बाप के पास,
और फिर उसके बाप के बाप के पास,
और फिर उसके बाप के बाप के पास भी,
दो तीन पांच ही आता था,
वो भी हारता था,
मैं भी हारता हूँ ,
ठीक से शफल करो यार,
तीनों में से एक ने फिर से शफल किया,
मुस्करा कर पत्ते बाँट दिये,
फिर उन तीनों के पास तीन इक्के थे,
और, उस चौथे के पास फिर,
दो तीन पांच था,
चौथा, पांचवे के पास गया,
बोला, आप तो न्यायप्रिय हो,
गड्डी में तो चार ही इक्के होते है,
फिर इन तीनों के पास बाकी कहाँ से आते हैं?
वो मुस्करा दिया,
उसने चौथे से पूछा,
तुम अपनी गड्डी से खेलना चाहोगे,
चौथे ने कहा हाँ, और,
अपने पास की गड्डी निकाली,
पांचवें को दी,
पांचवां, जो बहुत न्यायप्रिय था,
उसने शफल किया,
और चारों को पत्ते बाँट दिये,
चौथे के पास फिर दो तीन पांच था,
और, उन तीनों के पास फिर तीन इक्के थे,
बुझो वो तीनों कौन थे?
जिनके पास हमेशा तीन इक्के आते थे,
और वो पांचवा कौन है ?
जिसने पहले तीनों को तीन इक्के बांटे,
और वो चौथा कौन है?
पुरखों से जिसके हिस्से में दो तीन पांच ही आते हैं,
और गड्डी में कुल कितने इक्के हैं?