Homeअमृता भारतीस्वप्न स्वप्न साक्षी प्रजापति अमृता भारती 18/02/2012 No Comments वह मेरा हर स्वप्न चुरा लेता था कि मैं गहरी नींद में सो सकूँ । जागने पर उसने एक-एक कर लौटाए थे मेरे स्वप्न ‘शिलातल’ की मुग्धता में । Tweet Pin It Related Posts मैंने सारे जगत की स्याही घोंट ली है मैं उसकी आँच में अपने को जलाती हूँ मेरे देश की तरह About The Author साक्षी प्रजापति Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.