Homeअमृता भारतीमेरे देश की तरह मेरे देश की तरह साक्षी प्रजापति अमृता भारती 18/02/2012 No Comments स्वतन्त्र हुए देश की तरह था वह- उसका माथा उसकी हँसी- मेरे देश की तरह दिव्य, अविभाज्य और सम्पूर्ण । Tweet Pin It Related Posts नीले एकान्त में मन रुक गया वहाँ (कविता) मैंने सारे जगत की स्याही घोंट ली है About The Author साक्षी प्रजापति Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.