दर्द समेटे दिल में अपनें, अपनें सपने टूट न जाये ।
जिसका- जिसको समझा अपना, अपना सपना ले वे आये ।
सगरे अगर मगर डगर-डगर, जगर मगर रहे वा जाये ।
सपना अपना अपना अपना, अपना उफनाते ही जाये ।
चुक चुक चटक चमक चमन में, दामन में डर दाग न आये।
सुबहो सबेरे साम सरहरी, दोपहरी में मन मुरझाये ।
लपट लहलहाती लम्बे लमहे, लानत तानत शूल सताये ।
तृण- तृण तूल तलातल तल, तपकर शूल मूल बन जाये ।
लमहे बीते लघु इतनें ना, वर्तमान रीते से आये ।
स्वाती की आस लिए बूंदें, नद नव सीप खुले रह जाये।
जटिल कटीले कंटक पथ-पथ, प्यारी-प्यारी नीद न आये।
मन मुस्काता पुनि घबराता, दिल की आस प्यास बुझाये।
समुझावत बहलावत जियरा, मीत बेर बहु बंदा लाये ।।