तुम तो ऐसे बात करते हो जैसे :-
तुमने हम पर कर दिया हो कोई बड़ा सा एहसान I
बन कर आ गए घर तुम्हारे हम बिन बुलाये मेहमान I
लिख दी हो तुमने हमारे ही नाम अपनी जान I
कोई काम बना हो हमारा जहाँ तुम्हरी हो पहचान II
तुम तो ऐसे बात करते हो जैसे :-
एम.सी.डी. के हथोड़े से बचा लिया हो हंमारा मकान I
तुम्हारी वजह से चलती है हमारी जिन्दगी की दूकान I
कोयला रोलते रोलते मिल गई तुम्हे जैसे हीरे की खान I
बात तुम्हारी न सुनी तो फिर जाना पडेगा शमशान II
तुम तो ऐसे बात करते हो जैसे :-
तुम अकेले ही हो समझदार यहाँ बाकी सब हैं नादान I
तुम्हारी ही वजह से आती है सभी के चेहेरे पर मुस्कान I
कार स्टार्ट करते ही करवा दोगे तुम हमारा चालान I
तुम हो आज की ए के 47, हम पुराने से तीर कमान II
तुम तो ऐसे बात करते हो जैसे :-
तुम हो सूदखोर महाजन गाँव के, हम कर्ज़दार किसान I
अपनी जेब से भर दिया हो कभी तुमने हमारा लगान I
हमारा समय निकट है ओर तुम्हे है आजीवन वरदान I
तुम हो ज्ञानी बहुत महान, बाकी सब अचंभित हैरान II
तुम तो ऐसे बात करते हो जैसे :-
तुम ही हो एक सच के पुतले बाकी सब यहाँ बेईमान I
तुम हो मालिक सभी के बाकी सब हैं तुम्हारे दरबान I
जंगल में शेरो से बचने के लिए बस तुम्हारी है मचान I
तुम्हारी सीट पक्की बैकुंठ में, हमें मिलेगा नर्क में स्थान II
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जरा समझो :-
इतने घमंडी न बनो भाई कि नफरत करे सारा जहान I
जैसा चाहते हो खुद के लिए वैसा दो सभी को सम्मान I
हमारा भी दिल है तुम्हारे ही जैसा समझो हमें भी इंसान I
उसकी लाठी से डरो ज़रा, न समझो खुद को सर्वशक्तिमान II
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गुरचरन मेहता
maan gaye sach hai sab ko samajhnaa chahiye :
इतने घमंडी न बनो भाई कि नफरत करे सारा जहान I
जैसा चाहते हो खुद के लिए वैसा दो सभी को सम्मान I
हमारा भी दिल है तुम्हारे ही जैसा समझो हमें भी इंसान I
उसकी लाठी से डरो ज़रा, न समझो खुद को सर्वशक्तिमान II