वो ठहरे नास्तिक अविश्वासी ओर हमें शौंक इबादत का I
उन्हें फुर्सत नहीं नफरतों से ओर हमें शौंक मोहब्बत का II
वो नादां हैं सीधे सादे ओर हमें है शौंक शरारत का I
वो जीना चाहतें सदियाँ ओर हमें शौंक क़यामत का II
वो नीम के पत्तों से ओर हमें शौंक है उल्फत का I
वो न छोड़े बैर किसी से हमें शौक है चाहत का II
उन्हें वर्षा की बूँदें पसंद नहीं हमें है शौक सावन का I
वो मुकर जाते पल में हमें शौंक वादा निभावन का II
वो चाहें दौलत जैसे भी ओर हमें शौंक है ईमान का I
वो हैं पिंजरें के पंछी से ओर हमें शौंक है उड़ान का II
वो रहना चाहें अंधेरों में हमें शौंक जगमगाहट का I
उनकी हंसी काफूर है ओर हमें शौंक मुस्कराहट का II
वो बड़प्पन छोड़ें ना ओर हमें शौंक खिलौने का I
उनका बिस्तर मखमल का हमें शौंक बिछौने का II
वो न बाँटें गम किसी से हमें शौंक ख़ुशी बाँटने का I
वो खुलकर मिलते नहीं हमें शौंक दुःख छाँटने का II
वो खर्चना चाहते पाई-पाई ओर हमें शौंक है बरकत का I
वो दूर भागते लोगों से ओर हमें शौंक है शिरकत का II
हम भूलना चाहते किस्से पुराने ओर उन्हें शौंक शिकायत का I
नहीं करते वो बंदगी कभी खुदा की ओर हमें शौंक इनायात का II
वो करतें हैं बस अपनी “चरन” और हमें शौंक है नसीहत का I
वो डरतें हैं सच्चाई से सदा ही ओर हमें शौंक है हकीकत का II ____________________________________________
गुरचरन मेह्ता