मन का भाव कभी मेरे प्रति प्रखर जाए – तो बता देना I
बात जो कोई मेरी नागवार गुज़र जाए – तो बता देना II
नफरत कर लो तुम जी भर कर मोहब्बत से,
जब दिल का ये दर्द पिघल जाए – तो बता देना I
शक भी कर लो तुम अपनों पर इन्तहां तक,
जब शक का ये भूत उतर जाए – तो बता देना I
हमदर्द मिलेंगे बहुत से पर प्यार नहीं,
हमारी ज़रूरत अगर पड़ जाए तो – तो बता देना I
लकीर का फ़कीर बनने से न होगा कुछ हासिल,
दिल के किसी कोने में, असर जाए – तो बता देना I
खफा हो जाते हैं बिन समझे अक्सर हमसे, हमारे,
ठेस लगे, कभी जो कुछ अखर जाए – तो बता देना I
न कहना राज़ तुम अपने दिल के हमसे बेशक कभी,
पर मन घबराए, अकेले कभी डर जाए – तो बता देना I
दिल से चाहता हूँ, बदलें खवाब तुम्हारे हकीकत में,
पर सपना कभी टूट कर बिखर जाए – तो बता देना I
जिन्दगी का बीता हुआ कल दुखद था, हम जानते हैं,
पर आने वाला कल कुछ संवर जाए – तो बता देना I
मैं माझी तू कश्ती, तो सुन जरा ध्यान से मेरी बात,
न डर तूफ़ान से, किनारे पर ठहर जाए –तो बता देना I
इतना न उड़ आकाश में की सब छोटा लगे “चरन”
उड़ते उड़ते कभी कोई तुम्हारे पर क़तर जाए – तो बता देना I
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गुरचरन मेह्ता
गुरुचरन जी बहुत सुन्दर कविता है कुछ राज हमें जरूर बता देना |
पत्थर दिल जब पिघल जाये -तो बता देना |
दिल के बदले दिल मिल जाये -तो बता देना |
गरूरे हुस्न का अंदाज बदल जाये -तो बता देना ||
किसी शायर की मोह्ब्ब्त फल जाये -तब तो जरूर जरूर बता देना ||
सराहना के लिए आपका अत्यंत आभारी हूँ आचार्य जी
ओर आपने जो पंक्तियाँ लिखी हैं, वे भी बहुत ही सुन्दर हैं
धन्यवाद।
Gurcharan जी, बहुत आनन्द आया आपकी इतनी सुन्दर कविता पढ़कर. आप बहुत ही प्रतिभाशाली हैं.
हरीश जी, आपके इतने सुन्दर शब्दों के लिए आपका शुक्रगुजार हूँ,
कोशिश करूंगा ओर अच्छा लिखने की ताकि आप सभी भाइयों की
उमीदों पर खरा उतर सकूँ I
धन्यवाद।