रचनाकार : मनमोहन बाराकोटी ‘तमाचा लखनवी‘, पी० एण्ड टी० ३/२, मालवीय नगर, ऐशबाग, लखनऊ
निज पर सदा भरोसा रखना- अपने मन में …………
निज पर सदा भरोसा रखना- अपने मन में धीर धर ।
आगे बढ़ते रहो साथियों- तुम लहरों को चीर कर ।।
तूफाँ से टकराकर तुमको- आगे बढते जाना है ।
हर बच्चे को देश भक्ति का- तुमको पाठ पढाना है ।।
सबको अपनी मातृभूमि प्रति- अपना फर्ज निभाना है ।
हम हैं सच्चे हिन्दुस्तानी – निज इतिहास बनाना है ।।
देश के प्रति क्या फर्ज तुम्हारा- बढ़ उसकी तामीर कर ।
आगे बढ़ते रहो साथियों- तुम लहरों को चीर कर ।।
जिन्हें देश से प्यार नहीं – उनका जीना धिक्कार है ।
देशद्रोह करने वाला – होता पूरा गद्दार है ।।
जब जब भारत की धरती पर- किया शत्रु ने वार है ।
तब-तब सारा देश हो गया- लड़ने को तैयार है ।।
सही फैसला लेने खातिर- पहले ठीक जमीर कर ।
आगे बढ़ते रहो साथियों- तुम लहरों को चीर कर ।।
मातृभूमि प्रति जीना- मरना ही अपनी पहचान है ।
भारत का हर बच्चा- भारत माँ की शान है ।।
सदा निछावर करता आया- इस पर अपनी जान है ।
ऐसे वीर सपूतों का ये- अपना हिन्दुस्तान है ।।
सदा देश के हित में अपना- तू चिंतन गम्भीर कर ।
आगे बढ़ते रहो साथियों- तुम लहरों को चीर कर ।।
– मनमोहन बाराकोटी ‘तमाचा लखनवी‘
Usne kaha jana hai Hamne kaha jao, Is tarah apni dosti pakki bani rahi. Mai rok leta usko aur jaane nahi deta, Is hausle ki mujhme hamesha kami rahi.