मोहब्बत है जिन्दगी में सब कुछ मेरे हुजुर – अब समझ आया I
प्यार क्या होता है, हुए हैं वो हमसे ज़रा दूर – अब समझ आया II
तुम्हारी वफाओं का भरपूर फायदा उठाया हमने,
समझे, लाचारी क्या है जब हुए हम मजबूर – अब समझ आया I
प्यार के पल गंवा दिए हमने जाने क्यूँ,
गिरें ज़मीं पर, ओर उतरा सुरूर – अब समझ आया I
खंजर लिए देखा दोस्तों को तो याद आया,
क्यूँ कहते थे वो हो न जाना मशहूर – अब समझ आया I
पता चले जिन्दगी के मायने जिन्दगी के बाद,
कुछ उनका तो कुछ हमारा भी था कुसूर – अब समझ आया I
छुना चाहते थे आसमां, तोड़ना चाहते थे तारे,
पर क्या करते हम , खट्टे थे अंगूर – अब समझ आया I
जो बीत गए उन लम्हों की कसक तो याद रहेगी,
कहते थे एक दिन समझ में आयेगा जरुर – अब समझ आया I
बहाना बनाना, समय पर न आना, चुभन दे गया “चरन”
तुम तो थे मशरूफ, हम समझ बैठे मगरूर – अब समझ आया II
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गुरचरन मेह्ता
you are a very good writer. from where can i get your collection of poems (book )
To
तोशी जी
सबसे पहले तो सराहना के लिए आपका अत्यंत आभारी हूँ।
दुसरा अभी तक मेरी कोई भी किताब (बुक) नहीं छापी है I
कोशिश जारी है, जैसे ही छपेगी आपको सूचित करूंन्गा
वैसे आप मेरी सारी रचनाएँ इसी site पर (hindisahitya.org)
पढ़ सकती है I एक बार फिर से आपके प्रति अपना आभार प्रकट करता हूँ I
धन्यवाद.
बहुत खूब एक एक शब्द सच चीख चीख कर कह रहा है!!
मेरी तरफ से —
wo kehte the hamse ki pyaar hai tujhse,
is pyar ka matlab, jab toote mere khwaab unke pairon tale -tab samajh aaya.
khudaa unko maana the hamne,
us nakhuda kii shakshiyat, jab manaato ka niklaa janaajaa- tab smajh aaya.