शायरों की किस्मत तो खुदा आशुओं से लिखता है |
आंशुओ के सूखने पर कागज कोरा ही दिखता है ||
जालिमो के जलजले को न हम सर झुकाते है |
हम तो जालिमो की महफिल में जलजला दिखाते है ||
उनकी सुरीली आवाज का ये बन्दा है मोहताज नहीं |
रुक जाये मौत की महफ़िल में ऐसी भी मेरी आवाज नही ||
ग़ालिब हों या फिर हों अकबर हम सबके ही परदादा है |
कभी मिली मोहब्बत नहीं हमे पर गम तो सबसे ज्यादा है ||
मेरे इश्क के जश्न में गमो के साये हैं |
रोते इस लिए नहीं की आशूं भी पराये हैं ||
मजबूर आशिक तो गम को देखकर रोता है |
उसके हर ख़्वाब का हिसाब आशुओं से होता है ||
जिंदगी के हसीं सफ़र में खुद को न भूल जाना |
कल क्या होगा ये तो खुद खुदा ने नही जाना ||
आप ने खुद की मोहब्बत की खुद ही खुदकशी कर दी |
मेरी छोटी सी खता के लिए जिंदगी में बेबशी भर दी ||
किसी शायर की शायरी के लिए तुम बहुत बदनसीब हो |
शायर भी बेचारा क्या करे जो तुम्ही उसका नसीब हो ||
वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
कभी यहाँ भी पधारें और टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
http://www.hindisahitya.org/category/poet-madan-mohan-saxena/
http://saxenamadanmohan.blogspot.in/
http://saxenamadanmohan1969.blogspot.in/
सक्सेना जी ये हिंदी साहित्य .ओ आर जी और आपकी महानता है |अपनी क्षुद्रता के लिए मै गोस्वामी तुलसी दास जी का एक दोहा प्रस्तुत कर रहा हूँ –
हौहुं कहावत सब कहत राम सहत उपहास |
साहिब सीता नाथ को सेवक तुलसीदास ||
अर्थात मैं स्वयं सभी से कहता हूँ ,और सभी कहते भी है कि मै हिन्दीसाहित्य .ओ आर जी से जुड़ा हुआ कवि हूँ |लेकिन कहाँ हिन्दीसाहित्य जैसी महान संस्था और कहाँ मेरी क्षुद्रता ||
फिर भी आपने हमारा मान बढ़ाया है इसलिए एक शेर आपको समर्पित कर रहाँ हूँ
खुदा करे आपका सर्वत्र सम सम्मान हो |
वेदना दुःख दर्द गम का तुमको कभी न भान हो ||
मिल जाये सारी मंजिले जो ख्वाबो ने सजाई हैं |
कीमत तो हम चुका देंगें भले कीमत हमारी जान हो ||