काल बल
जातक जन्म पाव जो रजनी | काल बली कुज चन्द्र अरु शनी ||
जो जातक जन्मै दिन मांही | सूर्य शुक्र बुध बली कहाहीं ||
स्थान बल
स्व गृह उच्च मित्र ग्रह पड़ें जो निज द्रेश्काण |
सो जानहु स्थान बल सब ग्रह केर प्रमाण ||
दिग्बल
बुध गुरु लग्न सुह्रद शुक्र शशि | सप्तम शनी दिग्बली कहायसि |
दशम सूर्य कुज दिग्बल जाना | बन्दहु सब ग्रह का करी ध्याना ||
नैसर्गिक बल
शनि से कुज ,कुज से बुध जाना |बुध से गुरु गुरु से शुक माना ||
शुक से चन्द्र ,चन्द्र से दिनकर | होहि नैसर्गिक बल उत्तरोत्तर ||
द्रग्बल
शुभ ग्रह द्रष्ट द्रग्बली कहावै |द्रष्टि पाइ ग्रह बल बढि जावै ||
चेष्टा बल
मकर कुम्भ वृष मेष झष मिथुन राशि परमान |
इनमें शशि संग ग्रह पड़ें तो चेष्टा बल जान ||
Respected Sashtiji,
I personally very much appreciate your column. Those who do not have
Hindi or Sanskrit background find it hard to understand and appreciate.
To popularize your excellent efforts please render some translation in
simple Hindi. Other was it is unparalleled and enviable. God Bless you.
Best regards
kiran