दूर के ढोल सुहाने निकले
वे भूखमरी मिटाने निकले,
कितना कौन गरीब यहाँ है
एक से एक पैमाने निकले,
कहाँ मिलेगा सस्ता खाना
नेता लोग बताने निकले,
घोटालो के मुल्क में यारों
उजले लोग सयाने निकले,
ईश्वर कितना धनी यहाँ है
मंदिर में तहखाने निकले,
छोड़ के घर में बूढ़ों को
बच्चे लोग कमाने निकले,
जब भी उससे हाथ मिलाया
हाथ नहीं दस्ताने निकले,
nayab line hai narayan sir…………. dil ko chhu gayi………….. jari rakhe………..
der se dhanyabad gyapan karne ke liye mafi chahunga, aabhari hu aap ko rachana pasand aayi