अक्सर तो चुप रहना पड़ता है,
बाकी सुनना तो सबका पड़ता है.
सांत्वना देने वाले कब के लौटे,
दुःख अपना खुद सहना पड़ता है,
गम का चादर कितना भारी ,
ओढ़ के आखिर सोना पड़ता है ,
तन्हाई की साजिश देखी
दूर है जो संग उनके रहना पड़ता है
रिश्ते कुछ दूरी तक साथ निभाते है
छोड़ कर उनको एक दिन जाना पड़ता है
बारिश में पतंग उड़ाने वालों को
आखिर में पछताना पड़ता है
दरिया पार करने वाले को
धारा,के संग बहना पड़ता है ,