उलझन भी तेरी सुलझ जायगी – जरा होंसला रख I
हकीकत सबके सामने आयेगी – जरा होंसला रख I
ऊपर वाले पर विशवास कर, करम कर, डर छोड़,
उसकी कृपा ही तेरी बिगड़ी बनायेगी – जरा होंसला रख II
उसके दरबार में ढेरों खड़े हैं हम जैसे आस लगाये,
सबकी करता है पुरी, तेरी भी बारी आयेगी – जरा होंसला रख I
सच का सामना सब कर सकें यह तो मुमकिन नहीं,
तूने किया है, यही सच्चाई तेरा साथ निभाएगी – जरा होंसला रख I
मैं जानता हूँ कि मिलें हैं कांटे तुझे फूलों की जगह,
पर यही काँटों की चुभन तुझे नया रास्ता बताएगी – जरा होंसला रख I
बरसात, आंधी, धुल, तस्वीरों को धुंधला कर देती हैं अक्सर,
घबरा मत, इन्द्रधनुष के सातों रंगों से तेरी तस्वीर रंग जायेगी – जरा होंसला रख I
गम से बेज़ार होकर होकर मायूस न हो उस पर थोड़ा यकीं पर,
ख़ुशी चूमेगी तेरा दामन, तेरे संग झूमेगी- नाचेगी-गायेगी – जरा होंसला रख I
काली अंधियारी आधी रात से डर कर न चीख मेरे बच्चे,
मेरी ममता कि किरण तुझे नयी रोशनी दिखायेगी – जरा होंसला रख I
बिफर जाते हैं, बिखर जाते हैं, छोड़ देते हैं क्यूँ उम्मीद हम,
मांग खुदा से, उसकी रहमत ही कुछ बरकत लायेगी – जरा होंसला रख I
जीवन के सर्कस में तमाशे की परिभाषा कोई नहीं बता सकता,
फ़िक्र न कर जल्दी ही ये बात तेरी समझ में आयेगी – जरा होंसला रख I
ऊपर वाला है तेरा मालिक ओर तू उसका मुलाजिम है , भूलना नहीं,
काम किया है दिल लगाकर, तो तनख्वाह भी मिल जायेगी – जरा होंसला रख I
हकीकत के आईने में झूठ हमेशा दम तोड़ देता है “चरन”
याद रखना इसे, यही बात तेरा सम्मान लौटाएगी – जरा होंसला रख II
——————————————————————————————————–
गुरचरन मेह्ता
really inspiring very good keep it up keep writing.
सफर ये जारी रहेगा वादा करते हैं,
अपनी शक्सियत की तलाश जरूर पूरी होगी – जरा होन्सला रख !!
aaj aap ki is kavita ne hmari umeed ki kiran ko poora roshn kiya hai . halat aise bne the ki zmana me sngharshratt hain. sch me umeed ki kiran……
dhnyvaad
मुस्कान जी एवं ज्योति जी
रचना को पसनद करने के लिए आपका तहदिल से आभारी हूँ
वाह गुरचरन जी क्या खूब लिखा है
आपकी इस रचना को पढकर बहुत ही
प्रेरणा मिली है मुझको |