मैं इतना शातिर हो गया I
कि तेरा कातिल हो गया II
इस सीने में भी था दिल कभी,
अब तो मै बेदिल हो गया I
अपने लिए नहीं मोहतरमा,
सब तुम्हारी खातिर हो गया I
दोस्तों ने बहकाया इस कदर,
मै दुश्मनों में शामिल हो गया I
पहचानना अब आसां नहीं मुझे,
धोखाधड़ी में जो माहिर हो गया I
धूर्त,पाजी शब्द कम हैं मेरे लिए,
यह तो अब जगजाहिर हो गया I
विवेकशील, समझदार अब कहाँ,
आजकल “चरन” जाहिल हो गया I
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गुरचरन मेह्ता
charan ko aaj ke aadmi ke roop me pesh kiyaa hai,
bht badhiyaa roopantaran hai
aaj ke insan pe ek dam sahii saabit hotaa hai